Anokhi Kahaniyan
Anokhi Kahaniyan, यह बात बहुत समय पहले की है. मगर यह कहानी सुनकर हमे पता चल जाता है. हमारे साथ अचानक कुछ भी हो सकता है. यह काहनी एक आदमी की है. जिसके साथ रात में कुछ ऐसा होता है. जिसे सोचने पर मजबूर करता है. इस दुनिया में कुछ भी हो सकता है. यह अनोखी बस जोकि उस आदमी के सामने आती है. वह उसे देखता ही रहता है. अब हम अपनी कहानी में आगे बढ़ते है. बहुत समय पहले की बात है. महेश नाम का आदमी अपने घर जा रहा था.
अनोखी बस की हिंदी कहानी :- Anokhi Kahaniyan
मगर उसे रात हो गयी थी. वह जिसके साथ जाने वाला था. आज वह जा नहीं रहा था. इसलिए महेश को लगता है. उसे अकेले ही जाना पड़ेगा. महेश अकेला ही अपने गांव में चलने लगता है. मगर उसे देर हो गयी थी. उसका दोस्त उसके साथ में जाने वाला था. मगर वह नहीं जा पाया था. उसे कुछ काम आ गया था. इसलिए वह नहीं जा सकता था. मगर महेश को जाना था. वह गांव की और चला जाता है. कुछ घंटो के बाद ट्रैन पहुंच गयी थी. मगर रास्ता यही पर समाप्त नहीं हो सकता था.
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क्योकि यहां से महेश को “बस” लेनी पड़ती थी. महेश को कोई भी {बस} नज़र नहीं आती है. वह सोचता है. अगर वह रस्ते में पैदल चलने लगता है. तो शायद उसे बस आगे भी मिल सकती है. क्योकि रात हो गयी थी. उस जगह से बस का मिलना थोड़ा मुश्किल होता है. मगर आगे के चौराहे पर [बस] मिल सकती है. अगर उस जगह पर भी (बस) नहीं मिलती है. तो वह आगे बढ़ सकता है. उसके गांव का रास्ता लगभग तीन किलोमीटर का था. जोकि मुख्य सड़क से लगभग अंदर ही पड़ता था. वह पैदल ही चलने लगता है.
जब उसे चलते हुए काफी समय हो गया था. उसे अब लग रहा था. लगता है कोई बस आने वाली नहीं है. मुझे अकेले ही रात के समय में अपने गांव में जाना पड़ रहा है. रात होने पर डर भी लगता है. मगर क्या किया जा सकता है. अब यहां तक आ गया हु. तो मुझे जाना ही पड़ेगा. महेश पैदल ही जा रहा था. सड़क पर कुछ भी नहीं था. सुनसान सड़क पर चलना वैसे भी डरा ही रहा था. मगर कोई रास्ता नहीं था. अगर मेरा दोस्त मना नहीं करता तो शायद हम दोनों बात करते हुए जा सकते थे. तभी उसे “बस” की आवाज आती है.
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ऐसा हॉर्न *बज* रहा था. जैसे बस उसी के लिए आ रही है. क्योकि सड़क पर कोई अन्य वाहन नहीं था. फिर भी बस हॉर्न बजा रही थी. वह महेश के पास रूकती है. महेश को लगता है. यह तो बहुत अच्छी बात हो गयी है. बस मिल ही गयी है. क्योकि अभी आधा रास्ता भी तय नहीं हुआ है. महेश बस में चढ़ने लगता है. मगर उसकी नज़र ड्राइवर पर जाती है. उस सीट पर कोई नहीं था. वह उस बस में देखता है. कोई आदमी नहीं था. यह कैसे हो सकता है. वह बस से नीचे उतर जाता है. यह अनोखी बस है. इसमें कोई नहीं है. मगर फिर भी चल रही है.
महेश उसे बाहर से देखता है. ड्राइवर की सीट पर कोई नहीं था. फिर यह कैसे चल रही है, महेश के अंदर अब डर बढ़ रहा था. वह उस अनोखी “बस” को छोड़कर आगे बढ़ने लगता है. क्योकि अब उसे डर लग रहा था. उसकी जगह पर कोई अन्य आदमी भी होता तो वह भी डर जाता. महेश बहुत तेज चलने लगता है. मगर बस उसके पीछे आ रही थी. यह कैसे हो सकता है. वह नहीं आ सकती है. वह अब भागने लगता है. बस की स्पीड भी बढ़ जाती है.
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Anokhi Kahaniyan, महेश सड़क से दूर हो जाता है. वह बस आगे चली जाती है. मगर अब वह रुक नहीं सकता था. वह भागने लगता है. क्योकि अगर वह अनोखी बस फिर से आ जाती है. तो डर भी बहुत बढ़ सकता है. वह अपने घर पहुंच गया था. मगर उसे यह बात याद है अगर वह समय पर उस जगह से नहीं आता या बस से नीचे नहीं आता तो शायद वह उसे कही भी ले जा सकती थी. इसलिए जीवन में कुछ अनोखी घटना भी होती है.
अनोखा सफर हिंदी कहानी :- Anokhi Kahaniyan
अभी बस को चलते हुए कुछ ही समय बिता था. अचानक ही बस रुक जाती है. सभी लोग सोचते है की यहां पर बस क्यों रुक गयी है. तभी ड्राइवर कहता है की बस में कुछ खराबी आ गयी है. इसलिए हम आगे नहीं जा सकते है. यहां पर रात को ही रुकना होगा. मगर सड़क पर रुकना सेफ नहीं था. इसलिए कुछ समझ नहीं आता है. यहां पर राटा के समय में रुकना अच्छा नहीं है.
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मगर हमारे पास कोई और रास्ता भी नहीं था. जब तक सुबह नहीं होती है.
तब तक कुछ नहीं होने वाला है. हमारे पास अब कुछ सोचने को नहीं था.
इसलिए सभी बस के अंदर बैठे थे. मगर तभी मेरी नज़र दूसरी और जंगल पर जाती है.
उस जगह पर रौशनी कैसे नज़र आ रही है. यह सोचकर की उस जगह पर कोई रहता होगा.
में बस से बाहर आ गया था. सभी बस के अंदर ही थे. क्योकि यहां पर कुछ भी सेफ नहीं है.
इसलिए वह कहते है की मुझे बाहर नहीं जाना चाहिए.
मगर मुझे लग रहा था. उस जगह पर कोई हो सकता है.
इसलिए उस जगह पर जा रहा था. में उस जगह पर पहुंच गया था.
मगर अब कुछ नहीं था. वह रौशनी अब नहीं थी.
सभी जगह पर अँधेरा नज़र आता है.
यहां पर क्या हो सकता है. कुछ समय पहले यहां पर रौशनी थी.
मगर अब कुछ नहीं है.
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Anokhi Kahaniyan, में जल्दी ही बस की और जाता हु. क्योकि अब कुछ भी ठीक नहीं था. तभी एक भालू आता हुआ नज़र आता है. उससे बचने के लिए बस में आ गया था. मगर मुझे समझ नहीं आ रहा था. उस जगह पर वह रौशनी कैसे आयी थी. जबकि किसी और ने कुछ भी नहीं देखा था. कुछ बाटे हमे समझ नहीं आती है. मगर उनमे सच जरूर होता है.
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