रेगिस्तान का सफर कहानी भाग एक, Hindi kahaniya

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रेगिस्तान का सफर कहानी (hindi kahaniya) में रंकित अपने सफर की और निकलता है वह उस जगह पर जाता है जहा पर वह पहले कभी नहीं गया था, यह सफर रोमांच से भरा हुआ होता है, रंकित को सफर के दौरान बहुत मुश्किल होती है, यह हिंदी कहानी आपको पसंद आएगी,

रेगिस्तान का सफर कहानी भाग एक : Hindi kahaniya

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रेगिस्तान की चलती हवा के बीच के कोई चला जा रहा था, उसे कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था, वह अपने ऊट के साथ बहुत मुश्किल से चल पा रहा था, हवा बहुत तेजी से बह रही थी, उसे चलने में बहुत दिक्कत महसूस हो रही थी, जब वह चला था तब तक मौसम साफ़ था, लेकिन अचानक आयी हवा ने सब कुछ बर्बाद कर दिया था,

 

वह पहली बार अपने घर वापिस आ रहा था, काम करने की वजह से वह बहार ही रहता था, अपने चाचा के यहां वह बच्पन्न से रह रहा था, क्योकि उसके चाचा के यहां पर कोई लड़का नहीं था इसलिए चाचा ने उसे गोद लिया था, वह बात यह जानता नहीं था, लेकिन उसे किसी ने यह भी नहीं बताया था, उसका नाम रंकित था, इसलिए वह अपने ताऊ जी के यहां पर जा रहा था,

 

वह जब चला था तब से लगातार चला जा रहा था, उस जमाने में ऊट ही रेगिस्तान में चलते थे, और कोई भी साधन नहीं था, उसके ऊट को भी अब प्यास लग रही थी काफी समय से दोनों चले आ रहे थे दोनों प्यास से बहुत परेशान थे और ऊपर से यह हवा जो उन्हें परेशान कर रही थी, जिसमे चलना बहुत मुश्किल था, उनकी किस्मत अच्छी थी जो कुछ देर बाद बारिश शरू हो गयी थी,

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बारिश होने के कारण उन्हें पानी की समस्या नहीं थी, मौसम अब अच्छा हो गया था, और उन्हें चलने में अब अच्छा लग रहा था, दूर तक फैला यह रेगिस्तान देखने में दूर तक कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था, ऐसा लग रहा था की में ही अकेला यहां पर हु, और कोई भी नज़र नहीं आ रहा है, चलते हुए रात का वक़्त भी हो गया था, उसे रात में चलना अच्छा लगता था इसलिए उसने सफर जारी रखा था,       

 

रात के समय में सफर करना अच्छा लगता है क्योकि उस समय में गर्मी ज्यादा नहीं होती है, दो दिन से लगातार चलने से परेशानी हो रही थी, वह जल्द से जल्द पहुंचना चाह रहा था, लेकिन रास्ता बहुत लम्बा था, कुछ नहीं क्या जा सकता था, तभी कुछ लोग उसे दिखाई दिए जो की कुछ ही दुरी पर थे, वह कौन लोग थे, रंकित यह बात नहीं जानता था,

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वह अच्छे लोग भी हो सकते है और बुरे भी, वह उन्हें देखकर छिप गया था, और छिपकर देखने लगा था, वह बहुत कोशिश कर रहा था, लेकिन वह अच्छे से छिप नहीं पाया था, क्योकि चारो और खुला मैदान था, वह कही भी नहीं जा सकता था, उन लोगो ने रंकित को देख लिया था, और वह अच्छे लोग नहीं थे,

 

रंकित से वह सब कुछ छीनना चाहते थे, लेकिन उसके पास कुछ भी नहीं था, इसलिए वह रंकित को वही पर छोड़कर उसका ऊट ले गए थे, रंकित कुछ भी नहीं कर पाया था, अब रंकित को और भी परेशानिया होने लगी थी, अब उसके पास ऊट भी नहीं था वह भी वह लोग ले गए थे, वहा पर पैदल चलना बहुत मुश्किल था, अब कुछ भी नहीं किया जा सकता था, रात में ठण्ड का आभास हो रहा था,   

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अब वह बिना ऊट के ही सफर कर रहा था, मगर इस तरह तो सफर करना बहुत मुश्किल था, वह चला जा रहा था, अब रुकना ठीक नहीं था, कुछ दुरी तक वह पहुंचा था तभी उसके एक पहाड़ी नज़र आयी थी, पहाड़ी पर रौशनी नज़र आ रही थी, वहा पर कौन हो सकता है, उसे यह जानने की इच्छा हो रही थी, हो सकता है की उसे वहा पर कोई मदद मिल जाए, वह उसी और बढ़ने लग गया था,

 

जब वह नजदीक गया तो देखा की यहां पर तो एक बहुत बड़ा काफिला रुका हुआ है, उसे यहां पर मदद मिल सकती है, इसलिए रात को वही पर ठहरने का विचार किया, वहा पर उसे मदद मिल गयी थी, और अपने सफर को जारी रखने के लिए वह काफिला की मदद ले सकता था, अगली सुबह वह उन्ही लोगो के साथ आगे बढ़ने लग गया था, उसे अब अच्छा लग रहा था उसे अब परेशान होने की जरूरत नहीं थी,  

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काफिला उसके शहर की तरफ से ही जा सकता था, इसलिए वह भी उन्हें के साथ चल दिया था काफिला अगले तीन दिन बाद उसके शहर की और पहुंच गया था, अब वह अपने ताऊ के पास पहुंचने वाला था, तभी उसकी मुलाकात एक लड़की से हुई थी, जोकि उसी शहर में रहती थी, वह अपनी दूकान पर कुछ बेच रही थी, रंकित उसके पास गया और अपने घर का पता उससे पूछा

 

क्योकि वह उसी शहर में रहती है, रंकित को आसानी से पता चल गया था, की उसका घर किस और था, अब वह अपने घर पहुंचने वाला था, कुछ समय के सफर के बाद पहली बार वह उस जगह पर खड़ा था जिस जगह के लिए वह आया था, रंकित दरवाजे के बहार खड़ा था, और वह देख रहा था, वह पहली बार यहां पर आया था, उसने दरवाजा खटखटाया और अंदर से एक महिला ने दरवाजा खोला था,

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आप लोग समझ चुके होंगे की वह महिला उसकी माँ थी, मगर रंकित इस बात को नहीं जानता था, उसके माता-पिता दोनों यही पर है, यह बात उसे नहीं पता थी, रंकित ने अपना परिचय जैसे ही दिया तो वह महिला समझ चुकी थी, वह उसका अपना लड़का है, और बहुत साल बाद यहां पर आया है, उसके पिताजी भी उसके पास आये पर किसी की भी हिम्मत नहीं थी, की वह सच उसे बता सके,

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रंकित से मिलने एक लड़का भी अंदर से आया था वह उसका भाई साकेत था, सभी लोग बाते करने लग गए थे और वह अपने यहां की बाते बता रहा था, सभी लोग उसकी बाते ध्यान से सुन रहे थे, उसके बाद रंकित अपने भाई साकेत के साथ आराम करने लग गया था, साकेत ने रंकित को बताया की यहां पर एक राजा का राज है, और उसी के नियम यहां पर चलते है,

रेगिस्तान का सफर कहानी अगला भाग-2 

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