Hindi kahaniya
यह कहानी का तीसरा भाग है रेगिस्तान का सफर कहानी भाग तीन (Hindi kahaniya), अगर आपने इस कहानी का पहला और दूसरा भाग नहीं पढ़ा है तो आप पहले उसे जरूर पढ़ ले क्योकि इस तरह आप पूरी कहानी नहीं समझ पायंगे,
रेगिस्तान का सफर कहानी भाग तीन : Hindi kahaniya
हम यहां पर इस कहानी का पहला और दूसरा भाग बता देते है जिससे आपको कुछ हद तक समझ में आ जाएगा, रेगिस्तान का सफर रंकित नाम के लड़के से शरू होता है, वह लड़का पहली बात अपने ताऊ जी के यहां पर जाता है, असल में रंकित उन्ही का लड़का है लेकिन रंकित इस बात को नहीं जानता है,
रांकित बहुत मुश्किल से सफर करके अपने ताऊ जी के यहां पर जाता है और अपने ताऊ जी के लड़के यानी के अपने भाई साकेत से मिलता है, साकेत बहुत अच्छी आदत का है, साकेत अपने भाई रंकित को अपना शहर दिखाने जाता है, और वही पर राजकुमारी की सवारी आती है, रंकित राजकुमारी के सामने आ जाता है और उसे सेनापति द्वारा पकड़ लिया जाता है, और यह बात साकेत अपने पिताजी को बता देता है, अब आगे पढ़ते है,
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साकेत के पिताजी इस बात से परेशान हो जाते है क्योकि राजा उसे सजा जरूर देगा, लेकिन साकेत कहता है की हमे कुछ तो करना ही होगा, साकेत को एक तरकीब नज़र आती है मगर यह काम करेगी या नहीं इस बात का पता नहीं होता है, साकेत महल में जाने के लिए योजना बनाता है, लेकिन कोई भी उपाए नहीं समझ आ रहा था, तभी कुछ सैनिक बात कर रहे थे, की आज महल में बहुत सारी सब्जिया जानी है,
इसलिए कुछ देर बाद गाडी आने वाली होगी, साकेत तो यही रास्ता अच्छा लग रहा था जब गाडी भरी जा रही थी, तभी साकेत गाडी में छुप गया था, जिससे वह महल के अंदर जा सके, वह गाडी में आसानी से छुप गया था, गाडी भी अब महल के अंदर जाने को त्यार थी, गाडी वाला महल के अंदर गाडी को ले जा रहा था, तभी साकेत भी अंदर छुप गया था, गाडी को रसोईघर के सामने रोका गया था,
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साकेत ने भी अपना वेश बदल लिया था, और रसोई जैसा लग रहा था, अब वह रसोई के अंदर चला गया था, और सब्जिया लाने का नाटक कर रहा था, वह महल के अंदर तो चला गया था मगर महल में रंकित को कहा पर रखा गया है इस बात का पता उसे लगाना था, उसके लिए उसने कुछ रसोई में काम करने वालो से पूछताछ की थी, इस तरह उसने पता लगा लिया था की महल के दूसरी और एक तहखाना बना हुआ है, उसी में रंकित को रखा गया था,
जब रात हुई तो साकेत बहुत ही सावधानी से बचता हुआ रंकित को देखने निकल गया था, लेकिन पहरेदारो की वजह से उसे बहुत दिक्कत हो रही थी, क्योकि वह चारो और फैले हुए थे, उसे उनसे भी बचना था, क्योकि अगर कोई भी उसे देख लेता तो उसे बहुत मुसीबत का सामना करना पड़ता था, बहुत मुश्किल से वह उस जगह पहुंच गया था जिस जगह पर रंकित था,
रंकित के तहखाने की खिड़की के पास साकेत खड़ा हुआ था और रंकित को आवाज लगा रहा था रंकित ने जब देखा तो साकेत नज़र आ गया था, रंकित ने कहा की तुम यहां पर कैसे पहुंचे थे, साकेत ने कहा की अब तुम्हे निकलना चाहिए साकेत ने किसी दूसरी चाबी से रंकित को बहार निकाल लिया था, रंकित अब बहार आ चूका था, साकेत उसे अपने रसोई घर में ले गया था, अगले दिन सब्जी के लिए जो भी गाडी निकलती थी उसी में उन्हें भागना था,
अगली सुबह ही सब्जी की गाड़ी निकल चुकी थी, और वह दोनों वहा से भाग निकले थे, बाजार में पहुंचकर दोनों गाडी से बहार आ गए थे और इस तरह साकेत उसे बचाकर ले आया था, कुछ देर बाद बाजार में बहुत सारे सैनिक भी आ गए थे क्योकि उन्हें पता चल गया था की रंकित भाग निकला है, बाजार में रंकित को ढूढ़ा जा रहा था मगर उसकी शकल सिर्फ सेनापति को ही याद थी इसलिए उसे ढूढ़ना बहुत मुश्किल था,
साकेत रंकित को अपने साथ घर ले गया था, पुरे शहर में रंकित को ढूढ़ा जा रहा था, साकेत जब घर आया तो अपने पिताजी को पूरी बात बताई और रंकित को एक सेफ जगह पर छुपा दिया गया था, सेनापति रंकित की तलाश में हर घर पर जाकर देख रहा था, लेकिन उसे वह नहीं मिला था, जब रात हुई तो साकेत ने कहा की बहुत मुश्किल से तुम यहां पर आये हो,
चारो और सैनिक तलाश कर रहे है, तुम्हे यहां पर छिपकर रहना होगा, तभी रंकित ने साकेत को दिखाया की मुझे जब पकड़ा गया था तभी यह राजकुमारी का हार वही पर गिरा हुआ था यह मेने अपने पास रख लिया था यह मुझे उसे वापिस करना होगा, साकेत ने कहा की इस बारे में तुम्हे कुछ भी नहीं सोचना चाहिए, अगर तुम बहार गए तो हो सकता है की पकडे जाओ,
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साकेत के पिता आये और रंकित से सारी बात पूछी और रंकित को बहार निकलने से मना कर दिया था, रंकित उस शहर को घूमने आया था मगर इस मुसीबत से वह बहुत बड़ी परेशानी में पड़ गया था, कुछ दिनों तक ऐसा ही रखा गया और साकेत भी रंकित के साथ में ही था, इस तरह दो दिन बीत गए थे, और माहौल भी ठीक हो गया था, अब साकेत ने कहा की तुम्हे बहार निकलना चाहिए
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अगले दिन साकेत और रंकित बहार घूम रहे थे, मगर रंकित का मन तो महल में जाने को कर रहा था, उसे यह बात भी याद थी की अगर अब मुश्किल में पड़ गया तो हो सकता है की फिर बचना कठिन हो, इसलिए रंकित महल में जाने की योजना बना रहा था मगर साकेत इस बात को मानने को त्यार नहीं था, क्यको वह नहीं चाहता था की ऐसा कुछ भी हो,
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