Kabir das biography in hindi
कबीरदास जी का जीवन परिचय
नाम- कबीरदास जी
जन्म- 1440 वाराणसी
धर्म- इस्लाम
मृत्यु- 1518 मघर
कबीर दास जी के बारे में तो आप लोग जानते ही होंगे आज हम यहां पर आपको उनके जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं कबीर दास जी का जन्म हिंदू परिवार में हुआ था लेकिन उनका पालन पोषण एक मुस्लिम परिवार में किया गया था कबीर दास जी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे
लेकिन वह एक अच्छे समाज सुधारक थे कबीरदास जी का विवाह हो गया था उनकी पत्नी का नाम लोई है कबीर दास जी जुलाहे का कार्य करते थे कबीर दास जी रामानंद जी को अपना गुरु मानते थे कबीर दास जी ने हिंदू और मुस्लिम दोनों ही जातियों को एक साथ करने का प्रयास किया क्योंकि वह इन आडंबरो से दूर रहना चाहते थे वह हिंदू और मुस्लिम को दोनों को एक करना चाहते थे क्योंकि वह जाति व्यवस्था को दूर करना चाहते थे
कबीर दास जी साहित्यकार और समाज सुधारक दोनों ही थे कबीर के ग्रंथ कबीर जी ने नहीं लिखे थे बल्कि उनके शिष्यों ने ही उन्हें लिखा था कबीर दास जी के कुछ मुख्य दोहे इस प्रकार है,
गुरु गोविंद दोऊ खडे काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाय
कबीर दास जी कहते हैं कि जब भगवान और शिक्षक दोनों खड़े हो तो किसे पूजना चाहिए हमें शिक्षक को पूजना चाहिए क्योंकि शिक्षक हमें सही राह दिखाता है और भगवान से हमें मिलाता है इसलिए शिक्षक ही पूजने योग्य है
माटी कहे कुम्हार से तु क्यों रौंदे मोय 1 दिन ऐसा आएगा मैं रोदूंगी तोय
कबीर दास जी कहते हैं कि जब कुम्हार मिट्टी को को अपने पेरो से दबाता है तो मिट्टी कहती है कि आज तेरा दिन है क्योंकि तू ऐसा कर रहा है, लेकिन 1 दिन ऐसा आएगा जब तू मिट्टी के नीचे होगा
बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलया कोई जो दिल देखाआपना मुझसे बुरा न कोई
कबीर दास जी कहते हैं कि संसार में आप बुराई खोजने निकले हैं लेकिन जब अपने अंदर झांक कर देखते हैं तो अपने आप से बुरा आदमी और कोई नहीं होता
सुख में सिमरन सब करे दुख में करे न कोई जो, सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे को होय
कबीर दास जी कहते हैं कि जब तुमने सुख में भगवान को याद नहीं किया तो अब दुख में क्यों याद करते हो अगर तुम दुख में याद करते हो तो तुम्हारी कौन सुनेगा
काल करे सो आज कर आज करे सो अब पल में प्रलय होएगी बहुरि करेगा कब
कबीर दास जी कहते हैं कि जो काम कल करना होगा उसे आज ही करो और जो आज का काम है उसे तो अभी करो अगर तुम ऐसा नहीं करोगे तो जब पढ़ ले हो जाएगी तब तुम क्या करोगे
जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान मोल करो तलवार का पड़ा रहने दो म्यान
कबीर दास जी कहते है की अपने से बड़ो से हमेशा ज्ञान लेना चाहिए, हमे उनकी जाति नहीं पूछनी चाहिए, हमारे लिए ज्ञान जरुरी है,
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