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हमे हमेशा अपनी सच्ची सेवा करनी चाहिए तभी हम जीवन में कुछ कर पाएंगे, हमे अपनी सेवा में कभी भी लालच नहीं देखना चाहिए, यह सच्ची सेवा-भाव की कहानी (latest hindi kahaniya) आपको जरूर पसंद आएगी.
सच्ची सेवा-भाव की कहानी : latest hindi kahaniya
साधु जी का प्रवचन चल रहा है तो सभी लोग साधु जी का प्रवचन बहुत ही अच्छी तरह से सुन रहे थे जब प्रवचन खत्म हुआ तो साधु महाराज जी ने कहा कि आपका सहयोग बहुत ही जरूरी है अगर आप कोई सेवा करना चाहते हैं तो यहां पर आकर अपना नाम लिखवा दीजिए पूरी सभा में से सिर्फ दो ही व्यक्तियों ने हाथ उठाया और साधु महाराज जी के पास आ गए उन्होंने साधु जी की महाराज की सेवा भाव करने की इच्छा से वहां पर अपना नाम लिखवा दिया
उसके बाद साधु महाराज जी ने कहा कि कल सुबह ही हमारे पास पहुंच जाना, दोनों लोग बहुत खुश हुए और अपने घर चले गए जब सुबह हुई तो पहला आदमी साधु महाराज जी के पास जाने को तैयार हो रहा था जैसे ही वह तैयार हुआ साधु महाराज जी के पास जाने के लिए चल पड़ा तभी उसे रास्ते में एक आदमी मिला हो वह बैलगाड़ी को खींच रहा था लेकिन वह खींच नहीं रही थी क्योंकि बैलगाड़ी का पहिया गड्ढे में गिर गया था वह आदमी बोला कि क्या तुम मेरी सहायता कर सकते हो मेरी बैलगाड़ी गड्ढे में गिर गई है
तभी वह आदमी बोला कि मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मुझे देर हो जाएगी मुझे साधु महाराज जी के पास पहुंचना है उसने उस आदमी की कोई सेवा नहीं की वह आगे चल दिया तभी उस आदमी को सामने से एक व्यक्ति आता हुआ दिखाई दिया वह यह जानने को तैयार था कि उस गांव में जाने का रास्ता कहां से है लेकिन उस आदमी ने मना कर दिया और कहने लगा कि मेरे पास समय नहीं है जो मैं तुम्हें रास्ता समझा सकूं और वह साधु महाराज जी के पास पहुंच गए
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जैसे ही साधु महाराज जी के पास पहुंचा उन्होंने उसे देखा और कहा कि तुम समय पर आ गए हो तभी उस आदमी ने कहा कि हां मैं आ गया हूं लेकिन साधु महाराज जी ने कहा कि अभी एक आदमी और आना है क्योंकि तुम 2 लोग थे वह भी अभी आता ही होगा वह आदमी बोला कि उसे समय की कोई कदर नहीं है और वह अभी तक यहां पर पहुंचा भी नहीं है जबकि मैं यहां पर आ गया हूं महाराज जी ने कहा कि हम कुछ देर उसका इंतजार कर लेते हैं फिर चलते हैं
तभी दूसरा आदमी भागता हुआ साधु महाराज के पास आया और कहने लगा कि मुझे थोड़ी सी देर हो गई है साधु महाराज जी ने पूछा कि तुम्हें देर कैसे हो गई तो वह आदमी बोला कि एक बैलगाड़ी वाले की गाड़ी निकालने में मुझे काफी समय लग गया और एक आदमी मुझे मिला था जो रास्ता पूछ रहा था उसे रास्ता समझाने में मुझे काफी देर हो गई तभी मैं यहां पहुंच रहा हूं साधु महाराज जी ने कहा कि तुम दोनों एक ही रास्ते से आए हो तुम्हें भी जरूर वह आदमी मिले होंगे
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लेकिन तुमने उनकी सेवा नहीं की और यहां पर आ गए और जब कि यह आदमी सेवा का काम कर के आया है इसी को सच्ची सेवा कहते हैं जब आदमी किसी की मदद करता है तो उसे ही सच्ची सेवा कहा जा सकती है तुम्हारे अंदर सेवा भाव नहीं है लेकिन तुम यहां पर आ गए हो अगर तुम्हारे अंदर सेवा-भाव होता तो तुम उनकी मदद करने के बाद यहां पर पहुंचते हुए वह आदमी शर्मिंदा हो गया और चुपचाप वहां से चला गया इसलिए हमें भी अपने जीवन में सभी लोगों की मदद करनी चाहिए.
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