Majedar kahaniya
मजेदार हिंदी कहानी, (majedar kahaniya) अभी कुछ देर पहले ही बारिश होकर रुकी है और आसमान धीरे-धीरे साफ होने लगा है लेकिन अभी धूप नहीं निकली है बल्कि चारों और घटाएं छाई हुई हैं पानी चारों ओर सड़क पर दिखाई दे रहा है ठंडी-ठंडी हवाएं चल रही है “बारिश” के बाद का मौसम बहुत ही सुहावना होता है ऐसे मौसम में घूमना बहुत अच्छा लगता है
हिंदी कहानी बारिश की बूंदे : majedar kahaniya
लेकिन तभी अंदर से आवाज आती है कि कुछ सामान लेने जाना है और चलिए साथ में ही दोनों चलते हैं दोनों पति-पत्नी सामान लेने के लिए बाजार निकल पड़ते हैं चारों ओर गीली सड़कें दिखाई दे रही हैं और उन पर पड़ा हुआ पानी जिन से बचकर चलना बहुत मुश्किल हो रहा है तभी एक कार से कुछ छींटे पजामे पर आ लगी तभी पत्नी बोली कि कार को आराम से नहीं चलाया जा सकता क्या
अब घर चल कर फिर से यह धोना पड़ेगा क्योंकि यह गंदा हो गया है तभी पति बोला कि अगर हम इस मौसम में बाहर निकलेंगे तो ऐसा ही होगा क्योंकि चारों और पानी पड़ा हुआ है और हम बचकर निकल भी नहीं पा रहे हैं पत्नी कहती है कि तुम्हें तो बहाने ही चाहिए जिससे तुम्हें कोई काम ना करना पड़े और आज काम के लिए निकले हो तो अब यह गंदा कर लिया
जिसमें गलती पति की नहीं थी लेकिन उसे ही सुनाया जा रहा था, बाजार के अंदर पहुंच गए और सामान लेने के लिए दुकान पर खड़े थे कि देखा यहां तो बहुत सारे लोग पहले से ही सामान ले रहे हैं लगता है काफी देर इंतजार करना पड़ेगा कुछ देर के बाद नंबर आया सामान लेने के लिए सभी लोग आगे बढ़ने लगे कुछ देर बाद सामान लेकर घर वापस आ गए हैं
मजेदार हिंदी कहानी, (majedar kahaniya) घर आने के बाद पति ने कहा कि आज के बाद मैं “बारिश” के मौसम में कहीं भी बाहर नहीं जाऊंगा क्योंकि जब भी बाहर जाता हु तो उसी वक्त कुछ ना कुछ मुझे सुनाया जाता है हमें भी ऐसा ही लगता है कि सभी की जिंदगी में थोड़ी बहुत नोक झोंक चलती रहती है इसलिए जीवन को अच्छी तरह से जिए और आगे बढ़े ऐसा तो हमेशा चलता ही रहता है. अगर आपको यह मजेदार हिंदी कहानी पसंद आयी है तो आगे भी शेयर कर सकते है और कमेंट करके हमे भी बता सकते है
सेठ जी को बारिश से समस्या हिंदी कहानी :- majedar kahaniya
“बारिश” में बहार निकलना ही मुश्किल होता है, मगर जब काम हो तो बाहर जाना ही पड़ता है, वह सेठ भी बारिश में काम से निकल गया था मगर यह रास्ते अब पानी से भरे जा रहे थे उन्हें देखकर वह बचपन भी याद आ गया था, जब वह पानी में खेला करते थे मगर अब वह दिन नहीं है, अब तो बहुत ध्यान से आगे बढ़ना होगा, सेठ जी “बारिश” में अपना छाता लेकर निकल चुके थे, लेकिन “बारिश” कम होती नज़र नहीं आ रही थी, वह एक दूकान पर चले गए थे
वही से सामान ले रहे थे, अब सामान बहुत ज्यादा ही हो गया था, अब उसे लेकर चले या छाता पकड़ा जाये जाए कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन पहिर भी घर तो जाना ही था सेठ जी को वह समय याद आ रहा था, जब वह घर में आराम से बैठे थे मगर उनसे कोई भी सामान नहीं मंगाया था मगर अब मुसीबत आ गयी है अब सामान की बहुत जरूरत है, सेठ जी समान लेकर जाते है, वह बहुत मुश्किल से चल रहे थे मगर उनसे चला नहीं जा रहा था,
सेठ जी कुछ दुरी पर जाकर फिसल जाते है अब क्या करे उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, कोई पास भी नहीं है वह आज का दिन कभी भी भूल नहीं सकते है, क्योकि आज उन्हें सब कुछ याद आ गया है, आज वह बहुत बड़ी समस्या में आ गए थे, वह अब उठ तो गए थे मगर जब घर गए तो आज उन्हें कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था उन्हें बहुत दर्द हो रहा था, उस दिन के बाद सेठ जब भी बाहर जाते थे वह सभी सामान के बारे में पूछते थे, क्योकि आज वह सब कुछ लेकर रख देना चाहते थे क्योकि वह दिन उन्हें यदा आ रहा था उसका दर्द भी आज महसूस होता है, अगर आपको यह दोनों मजेदार कहानी पसंद आयी है तो शेयर करे
Read More Hindi Story :-
Read More-राजा और साधू की कहानी
Read More-एक शक्ल के दो आदमी एक कहानी
Read More- उसने की एक रोटी की मदद
Read More-एक चोर की हिंदी कहानी
Read More-समय पर नहीं आया एक कहानी
Read More-मंगू की आदत की कहानी
Read More-बीमारी से मिला छुटकारा कहानी
Read More-मंजिल आपके सामने हिंदी कहानी