sahi gyan ki kahani
सही ज्ञान की कहानी (sahi gyan ki kahani) हमे यही बताती है की जीवन में हमे जिस जगह पर ज्ञान मिलता है हमे लेना चाहिए तभी हम उस ज्ञान से सभी का भला कर सकते है, यह कहानी आपको पसंद आएगी,
सही ज्ञान की कहानी : sahi gyan ki kahani
बहुत सारे शिष्य साधु जी की बात सुन रहे थे, क्योकि वह सब ज्ञान प्राप्त करने आये थे मगर साधु जी को कुछ बात पर संदेह था उन्हें ऐसा लग रहा था की कुछ शिष्य अच्छे से ज्ञान की बाते नहीं सीख रहे है, इस बात का पता लगाने के लिए उन्होंने ने कुछ सोचा था अगले दिन सभी शिष्य वहा पर मौजूद लग रहे थे लेकिन जब सभी की गिनती की गयी तो उनमे से तीन शिष्य कम थे यह बात जब साधु जी को पता चला तो उन्हें बहुत बुरा लगा था,
साधु जी को समझ नहीं आ रहा था की वह सब ऐसा क्यों कर रहे है, इस बात का पता लगाने के लिए उन्होंने ने उन तीन शिष्यों को अगले दिन देखने के लिए निकला पड़े पड़े थे, जब साधु जी ने देखा की तीन शिष्य एक जगह पर बैठ कर बाते कर रहे है, उनकी बातो को साधु जी ने ध्यान से सुना तो पता लगा की वह सब यही बात कर रहे है की हम यहां पर क्यों है और हमे यह शिक्षा ग्रहण करने की जरूरत नहीं है, हमे यह सब अच्छा नहीं लगता है
उन तीनो का मन शिक्षा में नहीं था, गुरु जी यह सब बाते सुन रहे थे मगर वह समझ सकते है की ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है, उनके मन को बदलना होगा तभी उनका मन शिक्षा में लगेगा, गुरु जी ने एक योजना निकाली थी, गुरु जी यह जानते थे की सभी शिष्यों को गुरु जी ने तैरना सिखाया था मगर वह तीनो शिष्य यह नहीं जानते थे इसलिए गुरु जी ने इस योजना पर काम किया था इससे इनका मन बदल जाएगा, अगली सुबह ही सभी शिष्यों का बुलाया गया था सभी वह पर मौजूद थे,
गुरु जी ने कहा की सभी यहां पर आ गए है, तो हमे यहां से आज चलना होगा हमे दूसरे गांव में जाना है और कल हम सब वापिस आ जाएंगे आज के दिन यहां पर कोई नहीं रुकेगा इसलिए आज कोई भी शिष्य यहां पर नहीं ठहरेगा, सभी शिष्यों को लेकर गुरु जी वहा से चला दिए थे, जब गुरु जी एक नदी के किनारे पहुंचे तो रुक गए थे, सभी शिष्य वही पर रुक गए थे, अब गुरु जी ने कहा की मेने तुम्हे यह सीखा दिया था की नदी कैसे पार करनी है वह तीनो शिष्य अब बहुत ज्यादा डर चुके थे क्योकि उन्हें यह नहीं पता था
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उसके बाद गुरु जी ने उन तीनो शिष्यों को बुलाया और कहा की पहले तुम तीनो वहा पर पहुँचो उसके बाद सभी लोग वहा पर पहुंच जाएंगे लेकिन तीनो वही पर रुक गए थे वह नहीं जा सकते थे. उन्हें यह पता नहीं था की नदी को कैसे पार किया जाए, गुरु जी ने कहा की आगे बढ़ो लेकिन तीनो वही पर रुक गए थे, गुरु जी ने कहा की तुम नदी को क्यों पार नहीं कर पा रहे हो तीनो ने कहा की हम यह सब नहीं जानते है, उसके बाद गुरु जी ने सभी शिष्यों से कहा की सभी लोग वहा पर पहुंच जाए,
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सभी शिष्य वहा पर चले गए थे, इसके बाद गुरु जी ने कहा की मुझे पता है की तुम क्यों नहीं जा सकते हो तुम्हे तैरना नहीं आता है क्योकि तुमने सीखा नहीं है अगर तुम यह सीख जाते तो आज सभी की तरह वहा पर पहुंच जाते मगर तुमने नहीं सीखा था इसलिए तुम यहां पर खड़े हो अगर तुम जमाने के साथ नहीं चलते हो तो तुम सभी पीछे रह जाओगे अगर आगे बढ़ना है तो तुम्हे सीखना होगा उसके बाद वह तीनो अपनी गलती पर पछता रहे थे उसके बाद वह सुधर चुके थे यही कारण है की जिंदगी के साथ हमे चलना चाहिए.
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