Story in hindi
हमे अपने जीवन में जो भी काम करना है उसे सच्चे मन से ही करना चाहिए अगर हमे उस काम में लालच आता है, तो वह काम नहीं हो पायेगा. यही कहानी सच्चे मन की सेवा हिंदी कहानी (Story in hindi) इसी आधार पर है आपको पसंद आएगी.
सच्चे मन की सेवा हिंदी कहानी : Story in hindi
एक गांव में एक सेठ रहता था उसके मन में यह विचार आया कि गांव वाले बहुत ही अच्छे हैं लेकिन उनके लिए यहां पर कोई भी मंदिर नहीं बन पाया है इसलिए उसे अपने सभी गांव वालों के लिए एक बहुत अच्छा मंदिर बनवाया सभी गांव वाले मंदिर को बनते देख बहुत खुश हो गए थे क्योंकि उनके गांव में कोई भी बहुत बड़ा मंदिर नहीं था सभी गांव वाले बहुत ही धार्मिक किस्म के थे
वह हर रोज पूजा पाठ में ध्यान लगाते थे और भगवान को बहुत ही मानते थे मंदिर का निर्माण तो हो चुका था लेकिन सेठ यह सोच रहा था कि मंदिर की देखरेख के लिए मुझे किसे लेना चाहिए क्योंकि सेठ सिर्फ यह जानता था कि अगर मैं मंदिर की देखरेख किसी ऐसे आदमी को दे देता हूं जो बहुत ही लालची है तो वह देखरेख अच्छी तरह से नहीं कर पाएगा और धन कमाने के चक्कर में हमेशा लगा रहेगा
इसलिए सेठ हर रोज यही सोचता था कि मुझे एक सच्चा आदमी मिले जो की सेवा पर ही ध्यान दे ना कि धन पर ध्यान दें लेकिन सेठ को ऐसा कोई भी आदमी नहीं मिल पा रहा था वह हर रोज उस आदमी की तलाश में है मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा हुआ सोचता रहता था तभी थोड़ी ही देर में बारिश शुरू होने लगी मौसम बहुत खराब था ऐसा लग रहा था कि बारिश बहुत तेज होने वाली है सेठ मंदिर के अंदर चला गया और कुछ देर बाद ही बारिश की बूंदे धीरे-धीरे जमीन को छूने लगी
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बारिश बहुत तेज तो नहीं हुई है लेकिन हां सभी जगह पर थोड़ा थोड़ा पानी जम गया था तभी सेठ ने एक आदमी को मंदिर की ओर आते हुए देखा अब बारिश रुक चुकी थी उसने देखा कि वह आदमी बहुत ही पुराने कपड़े पहने हुए हैं वह आदमी सीढ़ियों पर चढ़ने से पहले उसकी नजर पानी पर गई तब उसने देखा कि सीढ़ियों के पास बहुत सारा पानी पड़ा है वह पानी को निकालने की कोशिश करने लगा सेठ सोच रहा था कि यह काम बहुत अच्छी तरह से कर रहा है लगता है इसका मन सेवा भाव में सबसे ज्यादा है
तभी उस आदमी ने सारा पानी मंदिर की सीढ़ियों के पास जमा हुआ था सारा पानी निकाल दिया फिर सेठ उसके पास आया और कहने लगा कि मुझे मंदिर की देखरेख के लिए एक आदमी चाहिए क्या तुम हमारी सहायता करोगे उस आदमी ने सेठ की तरफ देखा और कहने लगा कि मैं तो बहुत ही गरीब आदमी हूं मुझसे यह काम नहीं हो पाएगा सेठ ने कहा कि तुम्हें यह सोचने की कोई भी जरुरत नहीं है जब भगवान की शरण में जो आता है और सच्चे मन से सेवा करता है उसका काम अपने आप ही बनने लगता है सेठ की बात सुनकर वह आदमी मान गया और उसने उस सच्चे आदमी को आखिरकार खोज ही लिया जो मंदिर की सेवा का कर सकता था खोजने से तो भगवान भी मिल जाते हैं अगर अगर हम सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं तो वह प्रार्थना जरूर पूरी होती है.
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